चारों तरफ़ वेलनटाइन डे की धूम है, हर जगह प्रेमीयों का हजूम है और बाज़ार में गिफ्टस की बिक्री में बूम है। छोटी- मोटी गिफ्ट तो छोड़िए एक अदद मुसा गुलाब तक दो सौ से कम नहीं मिल रहा है। भला हो अंग्रेज़ों का, उनके कवि चौसर का और सबसे ज्यादा इस सोशल मिडिया का जिसकी वजह से हम हिन्दोस्तानियों को वेलनटाइन डे, रोज़ डे, टेडी बियर डे इत्यादि के बारे में पता चला। हमारे यहां हज़ारों अवतार है , ढेरों त्योहार है पर एक भी दिन प्यार के इज़हार के लिए मुकर्रर नही । पुराने ज़माने में लड़की को पहली बार गुलाब जयमाला में गुंथे हुए मिलते थे और दूसरी बार तब जब वो सफेद चादर ओड़ कर जमीन पर लेटती थी । टैडी- बियर तो हाथ में तब आता था जब गोद में कोई मुन्ना या मुन्नी खेलता था । खैर—-
छोड़ें कल की बातें कल की बात पुरानी
नए दौर में लिखेगें हम मिल कर नई कहानी।
कहावत है– जब जागो तभी सवेरा । आज मौका भी है और दस्तूर भी तो क्यों ना अपन लोग भी बहती गंगा में हाथ धो लें ,वैसै आप चाहें तो नहा मी सकते है। सब आपकी इच्छा शक्ति पर निर्भर है और रहा सवाल हमारा , तो भई दिमाग कहता है—
प्यार खुशगवार खुशबू है
हर लम्हा बिखरने दे फिज़ायों में
वक्त की बंदिशों में इसे कैद न कर
और दिल की ज़ुबान में—‘
सिर्फ एहसास है यह रूह से महसूस करो
प्यार को प्यार ही रहने दो कोई नाम न दो।।